क्या आपको पता है प्राचीन काल में सिर दर्द के इलाज के लिए दिमाग में होल्स किए जाते थे क्योंकि उन्हें ये लगता था कि दिमाग में होल करने से दर्द बाहर आ जाएंगे और तभी सिरदर्द रुक जायेगा। तो आज इस ब्लॉग में हम पढने वाले हैं प्राचीन काल के मेडिकल टेक्नोलॉजी और मॉडर्न मेडिकल टेक्नोलॉजी के बारे में तो ये ब्लॉग आखिर तक जरूर पढना और आप कौन से मेडिकल साइंस को बेहतर मानते हो ये कमेंट्स में जरूर बताना। प्राचीन काल में जब लोग बीमार पड़ते थे तब उन्हें ट्रडिशनल मैथड जैसे की हर रोज़ ऐक्यूप्रैशर जैसे नो साइड इफेक्ट वाले मेथड आजमाया किया जाता था। ट्रेडिशनल मेडिसिन का इम्पोर्टेन्स बहुत ज्यादा है।आयुर्वेद, ट्रेडिशनल चाइनीज मेडिसिन, या ट्रेडिशनल कोरियन मेडिसिन जैसे ये मेडिकल टेक्नीक्स दुनिया के बहुत सारे जगह में आज भी प्रैक्टिस किये जाते हैं। ये मेडिसिन शायद टाइम जादा लागती होगी, लेकिन हो वो बहुत ही बॉडी फ्रेंड्ली और इफेक्टिव होते हैं। आज मॉडर्न मेडिकल साइंस ने लगभग हर सेक्टर में ग्रोथ दिखाई देती है और जिसके चलते छोटे से छोटे बिमारी के भी काफी मेडिसिन्स मौजूद है। लेकिन इसके कई बार कुछ साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। ऑलोपॅथी जो की मॉडर्न मेडिकल सायन्स हैं। इसमें सिर्फ एंटीबायोटिक्स की मदद से ही कई सारी बीमारियों को ट्रीट किया जाता है। डायबेटीस क्युअर करने के लिए 100 प्रकार के ड्रग हैं लेकिन इस से डायबिटीस क्युअर नहीं होता, सिर्फ ट्रीट होता है,
बहोत सारी पढाइयों मैं यह साबित हुआ हैं जो केमिकल्स मॉडर्न मेडिसिन में यूज़ किए जाते हैं वो ह्यूमन लिवर को धीरे धीरे खराब करते हैं। प्राचीन मेडिकल साइंस में नैचरल एलिमेंट्स का यूज़ बहुत होता था। यानी की जो चीजें हमें नैचरली मिलती है, जैसे कि पत्ते, औषधि, जड़ी बूटी, औषधि, फल, फूल, पेड इनके थोड़े थोड़े मिश्रण से एक उपयोगी मेडिसिन बनाया जाता था। और वो मेडिसिन इंसानों को खिलाया जाता था या उसे शरीर के उपर लागाया जाता था। वहीं दूसरी तरफ मॉडर्न मेडिकल साइंस में कई सारी मेडिकल टेक्नोलॉजी और बहुत सारा बायोमेडिकल रिसर्च शामिल होता है।
प्राचीन काल में सिर्फ पल्स चेक करने से ही वैद्य को ये पता चल जाता था कि उस व्यक्ति को कौन सी बिमारी है। वहीं आज के जमाने में बहुत सारा टाइम में एक्सरे और बाकी प्रोसीजर्स करने में ही निकल जाता है। मेडिकल साइंस उस टाइम्स में बहुत हेल्पफुल था जहाँ आयुर्वेद आज इसे बेहतरीन मेडिकल ट्रीटमेंट मौजूद थे। आज भी आयुर्वेद दुनिया भर में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन आयुर्वेद की शुरुआत 600 बीसीई में हुई थी पर उस समय में आयुर्वेद की लिखी हुई कोई जानकारी नहीं थी। बस लोग एक दूसरे से बात करके नॉलेज शेयर करते थे। फिर आगे चल के आयुर्वेद के नॉलेज को लिखित फॉर्म में कन्वर्ट किया था। आयुर्वेद में मेडिसिन्स को आठ भागों में डिवाइड किया है जिन्हें अंग कहते हैं।
आठ अंग आयुर्वेद में मौजूद हैं।
जैसे कि…
- काय चिकित्सा जिसमें जनरल बॉडी ट्रीटमेंट शामिल है,
- बालचिकित्सा जिसके अंदर न्यू बोर्न बेबीज से लेकर 16 साल तक के बच्चो को ट्रीट किया जाता है।
- शल्य -चिकित्सा यानी की ह्यूमन, बॉडी सर्जरीस का नॉलेज बताया हैं,
- शलाक्य चिकित्सा जिसमें काम, नाक और गले की प्रॉब्लम्स का इलाज है |
- भूत विद्या जिसमें मेंटल डिस्ऑर्डर के बारे में बताया गया है,
- अगद तंत्र जिसमें एपिडेमिक सौर, टॉक्सिक ऐनिमलस के बारे में बताया गया है।
- रस तंत्र में डिफरेंट टाइप्स ऑफ टॉनिक्स जिसमें हमारे स्ट्रेंथ और लाइफ स्टाईल बढाने के तरीके हैं,
- वाजीकारण तंत्र, जिसमें सेक्शुअल और इनफर्टिलिटी के प्रॉब्लम्स के बारे में बताया गया है।
तो इससे हमे ये समझता है कि मॉडर्न मेडिकल साइंस आज जिन बीमारियों पर इलाज कर सकता है, उसके रूट्स आयुर्वेद में ही मिलते हैं। आयुर्वेद का मतलब ये नॉलेज ऑफ लाइफ आयुर्वेदा अपने नैचरल हीलिंग बेस के लिए बहुत पॉपुलर है, जो ह्यूमन बॉडी की छोटी से छोटी इश्यू का भी इलाज करता है। जैसे जनरल वेलनेस, मेंटल हेल्थ इन सबको आयुर्वेद हील करता है। आयुर्वेद की मदद से साइकोलॉजिकल और फिजियोलॉजिकल प्रॉब्लम्स को जड़ से ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेद आज भी उस प्रिन्सिपल पर बेस्ट होता है जो कि हमे एक हेल्दी लाइफ स्टाइल देता है। हमारे इमोशन, लाईफ स्टाइल और बॉडी स्ट्रक्चर को मेनटेन करना, योग, प्राणायाम करना, लेप लगाना ये सब कुछ आयुर्वेद का पार्ट हैं। आयुर्वेद को समझने के लिए पांच इम्पोर्टेन्ट एलिमेंट्स को समझना बहुत इम्पोर्टेन्ट होता है, वो है आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी... अच्छी आयुर्वेदिक मेडिसिन इन सब प्रिन्सिपल्स पर से ही बनाई जाती है और वो सिर्फ प्राचीन काल में ही नहीं बल्कि बहुत सारे डेवलपिंग कन्ट्रीज में आज भी इफेक्टिव मानी जाती है।
आज मॉडर्न मेडिकल साइंस इतना बढ़ चुका है की आजकल कैंसर, ब्रेन ट्यूमर जैसे जानलेवा बीमारियां भी जड़ से मिटाई जा सकती है। पर क्या आपको पता है प्राचीन काल में भी ये सब सर्जरी हुआ करती थी। जी हाँ, प्राचीन काल में प्लास्टिक सर्जरी, ब्रेन ट्यूमर सर्जरी के सबूत पाए गए हैं। तो आप सोच ही सकते हो की प्राचीन काल में भी मेडिकल साइंस कितना ऐडवान्स था। मॉडर्न मेडिकल साइंस की वजह से आज डेथ थ्रेट्स बहुत हद तक कम हो चूके हैं। आज के वक्त में ज्यादातर लोग हार्ट डिज़ीज़, स्ट्रोक्स और बाकी डिजीज से मरते थे। लेकिन आज के ऐडवान्स मेडिकल टेक्नोलॉजी की वजह से डेथ रेट 60% से कम हो चुके है। आज जैसे बहुत सारे हेल्थ इशूज़ है, जिसे क्यूर करने के लिए मॉडर्न टेक्नोलॉजी की जरूरत होती ही है। उदाहरन के तोर पर हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट जहाँ वॉल निकालकर उसकी जगह मेटल वॉल बिठाई जाती है। ऐसे ही बहुत सारी बीमारियाँ है जिसे मॉडर्न मेडिकल साइंस की जरूरत पड़ती है। मॉडर्न टेक्नोलॉजी की वजह से इम्प्लमेन्ट भी बहुत ज्यादा बढ़ गई है। ह्यूमन बॉडी और बहुत सारे डिसीसेस की वैक्सीन की स्टडी करने के लिए लाखों स्टूडेंट्स आज इंट्रेस्टेड होते हैं। फार्मेसी, डॉक्टरेट, बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी जैसे फील्ड कि काफी तरक्की हुई है। प्राचीन काल में लोग हर्बल मेडिसिन से ही ठीक हो जाते थे, लेकिन कभी कभी कुछ गलत जानकारी या जल्दी उपचार न मिलने की वजह से भी बहुत लोग मर जाते थे। प्राचीन काल में घावों को ठीक से क्लीन करके उन्हें बंदिश लगाना, उसके बाद अपने हाथ अच्छी तरह से धोना। इसका नॉलेज किसी को नहीं था जिसकी वजह से उन घावों से इन्फेक्शन पूरा शरीर में बढ़ जाता था। और लोग उस इन्फेक्शन के कारण मरते थे। वैसे ही दूसरी तरफ आज के मॉडर्न वर्ल्ड में हर छोटी से छोटी बिमारी को दो से तीन दिनों में कवर किया जाता है। आज मॉडर्न मेडिकल साइंस की वजह से लाखों बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। मॉडर्न मेडिसिन रिलायबिलिटी यानी जीस पे हम ट्रस्ट कर सकते हैं इमर्जेन्सी और प्रॉम्प्ट नेस यानी की कोई भी इलाज क्विकली करना ये थ्योरी पर वर्क करता है, जिसकी मदद से इमर्जेन्सी में पेशेंट्स की जान बचती है।
Ayurvedic Medicine appears to be the best as compared to modern medicine.
I wish to know Ayurvedic Medicine for hyper acidity
Very good information for aurveda (Dhanyawad)
दोन्हीही प्याथी मध्ये काही मेरिट आहे व काही दोष आहेत!
Ayurveda very good medicine
Due to increased importance, speediness, and money modern medical science has grown exponentially.
True practioner of Ayurvedic medicine are not available. Most of BAMS practice, allopathy. However, renewed importance of ayurveda is growing.
In any case, both are important and not supplementary to each other.
Very good ,useful information of Auruvedic
दोनो थेरेपी मानव के लिए लाभदायक सिद्ध हुई है,दोनो अपनी
जगहपर बेहतर है
आयुर्वेदिक उपचार पद्धती अत्यंत प्रभावी व उत्तम पध्दती आहे
आयुर्वेद अंत्यन्त उपयुक्त.आलोपॅथी चुकीचे.
Very nice info ……an eye opener for all allopathy lovers…..always Ayurveda is best from our ancestors time👍👍