आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जिसे आप लोग मिनरल वाटर कहते हो, उसमें मिनरल्स ज़रा सा भी नहीं होता। आज लोग लोगों को दिखावे के चक्कर में इतने पागल हो चूके हैं कि वे पैसे देकर कैंसर जैसे भयानक बिमारी को खरीदने के साथ साथ अपने बॉडी को इतना कमजोर बना रहे हैं जितना आप सोच भी नहीं सकते। ये ब्लॉग आपकी आंखें खोल देने वाली हैं तो कुछ भी हो जाए एक बार ऐसे पुरा जरूर पढे।
आज हम लोग ये समझेंगे कि फिल्टर पानी हमारी बॉडी में जाकर करती क्या है और ये हमारे लिए इतना ज्यादा हानिकारक क्यों है?
तो देखिये हम लोग जैसे ही पानी पीते हैं तो पानी हमारे इसोफेगस से होकर हमारे इस पेट तक पहुंचती है और वहाँ पे अगर पेट भोजन से भरा है तो पानी जाकर 45-60 मिनट तक रुकती है और अगर इस पेट मे पूरी तरीके से खाली है तो पानी 5-7 मिनट के अंदर ही छोटी आंत में चली जाता है और फिर छोटी आंत से पानी जाता है बड़ी आंत में और यहाँ पे पानी कुछ देर तक ठेहरता है और यही पे होता है। सबसे इम्पोर्टेन्ट काम तो देखिये हमारे जो आतडिया होती है उसकी जो दीवार होती है वो थोडी सी खुरदरा टाइप की होती है। उसमें ऊँगली के आकार के कुछ संरचना होती है। और इसका काम होता है कि जो भी भोजन या फिर पानी हमारी आतो में आया है, उससे जीतने भी न्यूट्रिअन्ट्स है। जितने भी मिनरल्स है उसे सोखकर खून तक पहुंचाना और फिर खून के जरिये ये हमारे पूरे बॉडी में फैलता है, लेकिन यहाँ पे प्रॉब्लम क्या है? हम लोगों ने जीस पानी को पिया। उसमें मिनरल्स नाम की तो कोई चीज़ है ही नहीं क्योंकि फ़िल्टर के दौरान ही उस पानी से जीतने भी मिनरल्स थे। उसे निकाल लिया गया है और जिससे हमारे बॉडी को मिनिरल सही मात्रा में नहीं मिल पाती है और मिनरल्स की कमी की वजह से हमारी बॉडी में कई तरह की बीमारियां घर बनाने लगती है। जैसे कि कैल्शियम की कमी से आप की हड्डियाँ कमजोर होने लगती है, आपकी आँखों की रौशनी घटने लग जाती है। इसके अलावा दांत, खुजली, बालों का झड़ना, पिंपल्स, खून का पतला हो जाना कोलेस्ट्रॉल का बढ़ जाना, जिससे हार्ट अटैक जैसी संभावना और ज्यादा बढ़ जाना, इसके साथ साथ खून में आयरन की कमी होने की वजह से खून का पतला हो जाना या फिर खून की ही कमी होने लगता तो अब यहाँ तक आपके बॉडी में जो भी हो रही है वो तो केवल मिनरल्स की कमी से हो रही है
लेकिन अब यहाँ पे और एक बहुत बडी चीज़ होने वाली है तो अब यहाँ पे आप थोड़ा सा ध्यान से समझिये तो देखिये जो पानी फिल्टर करके या फिर बोतलों में बंद करके बेचा जा रहा है, उसमें सेंट्रल फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट के अनुसार पेस्टिसाइड यानी की जो केमिकल्स की मात्रा है वो 0.0001 मिलीग्राम पर लीटर के हिसाब से मिलाने की अनुमति है। लेकिन जब डब्ल्यूएचओ के द्वारा कोलकाता में मिलने वाले पानी का जांच किया गया तो उसमें पेस्टिसाइड की मात्रा इस नंबर से 36.4 गुना ज्यादा थी। अब आप ये सोचिये की इतना पेस्टिसाइड उस पानी में है और वो पानी हमारे आंतों में पहुँच रही है और हमारे आंतों का काम है की उस पानी में जो कुछ भी है जैसे खिच लेना और उस पानी में मिनरल्स तो है नहीं। इसीलिए हमारे आते उसमें जो कुछ भी गंदगी है, जो कुछ भी केमिकल है, उसे ही ऐब्जॉर्ब करेगी और उसे ही हमारे पूरे बॉडी में फैलाएगी और जिससे नई नई प्रकार की बीमारियां तो होगी ही साथ ही और एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम होने वाली है। उसे भी आप ध्यान से समझ गए तो देखिये। जब कंपनी में बोतलों में पानी को भरा जाता है तो उसे लंबे समय तक फ्रेश रखने के लिए और पानी पीने में मीठा लगे, इसके लिए उसके टीडीएस को 100 से भी कम कर दिया जाता है। देखिए यहाँ पे कुछ लोगों को समझ नहीं आ रहा होगा कि यह टीडीएस क्या है?
टीडीएस एक तरह का मापक है जिससे पानी को मापा जाता है की पानी कितना ज्यादा प्युर है। जो भी बोतल में पानी है उसका टीडीएस तो कम कर दिया गया है और इसीलिए वो पानी बहुत ज्यादा रिऐक्टिव हो जाती है और जब लंबे समय तक यह पानी बोतलों में पड़ा रहता है, धूप के संपर्क में आता है तो यह पानी उसी बोतल के प्लास्टिक के साथ रिऐक्ट करने लग जाती है। और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के अनुसार ये रिऐक्ट करके एक ब्रोमेट नाम का रसायन बनाती है और ये एक ऐसा रसायन है जो की एक बहुत ही खतरनाक बिमारी को जन्म देती है और वो है कैन्सर और यही कारण है कि पिछले पांच सालों में कैंसर की जीतने मरीज बढे है। ना उतने पिछले 100 सालों में भी नहीं बढे थे । अब इतने सारे केमिकल्स को हमारा बॉडी मे जा रहे है साथ ही उसे मिनरल्स तो मिल नहीं रही है तो इससे हमारा शरीर धीरे धीरे करके ताकतवर तो बनेगा नहीं। ये पूरी तरीके से कमजोर और अंदर से खोखला हो जाएगा ।
तो इससे बचने का एक ही तरीका है कि अगर आप बहार ट्रैवेल कर रहे हो तो जितना हो सके आप घर के पानी को लेकर जाए या फिर बाहर के पानी का कम से कम इस्तेमाल करें या फिर आप नल का पानी पीने। नल का पानी पीने से आपको ज्यादा से ज्यादा डायरिया होगा जो कि कैंसर से लाख गुना सही है। इसके अलावा अगर आप अपने घर पे या फिर ऑफिस में आरो या फिर कोई सा भी वाटर प्यूरिफायर लगाए हो तो उसका जो टीडीएस है उसे आपको 250 से 350 के बीच रखना चाहिए क्योंकि ये सबसे ज़्यादा बेस्ट होता है। इसके अलावा आप 200 से 400 के बीच भी रख सकते हो। ये नॉर्मल में आती है और अगर आपके क्षेत्र का पानी बहुत ज्यादा दूषित है और आप ना चाहते हुए भी आपको बॉटल में मिलने वाले पानी का इस्तेमाल करना पड़ता है तो ऐसी स्थिति में फिल्टर पानी को किसी घड़े या फिर किसी सुराही में लाकर रखें। इससे होगा क्या की उसमें मिनरल्स की मात्रा पहले के मुकाबले कुछ गुना ज्यादा बढ़ जाती है और जिससे वो आपकी बॉडी को पहले के मुकाबले बहुत कम इफेक्ट करती है। इसके अलावा अगर आप अपने क्षेत्र के ही पानी का इस्तेमाल करना चाहते हो और वो पानी थोड़ा बहुत दूषित है तो आप उस पानी को पहले उबाल लें और फिर उस उबले हुए पानी को किसी घड़े में रखे ये आपके हेल्थ के लिए भी अच्छा होगा और इसमें से आपको भरपूर मात्रा में मिनरल्स और जीतने भी पोषक तत्व है वो मिल जायेंगे । तो आप लोगों से हात जोड़कर विनती है कि इस ब्लॉग को वॉट्सऐप की मदद से अपने परिवार और अपने दोस्त मैं जरूर शेयर करे ताकि इस चीज़ के बारे में और सभी को पता लग सके और अगर आप अपने आप को हमेशा स्वस्थ रखना चाहते हो और आगे भी इसी तरह के हेल्थ से जुड़ी जानकारी को पाना चाहते हो तो हम से जुडे रहे…
Very good information
बहोत ही अच्छी जानकारी मिली..लेकीन करें क्या?
बहोत ही अच्छी जानकारी है😊… ऐसेही रोजमर्रा की चीजों के बारे में जानकारी देते जाइए
बहुत ही अच्छा वर्णन किया है l आप का बहुत बहुत धन्यवाद।