स्वस्थ रहने के लिए उपवास

प्राचीन रूप में जब किसी व्यक्ति को मिर्गी का दौरा आता था तो उस व्यक्ति को एक कमरे में बंद कर दिया जाता। माना जाता है कि शैतान के पकड़ने से मिर्गी का दौरा आता है और कमरे में अकेला बंद करने से शैतान उस व्यक्ति को छोड़ देता है और सचमुच होता भी यही था। बंद कमरे में 10 से 15 घंटों के बाद लोग ठीक हो जाते हैं। असल में अकेले कमरे में बंद रहने से शैतान किसी कारण नहीं भाग जाता था। बल्कि 10-15 घंटे भूखे रहने से मरीजों का दिमाग बेहतर तरीके से काम करने लगता, इसलिए मिर्गी के दौरे ठीक हो जाते हैं।

हमारा दिमाग भुका रहाने पर कैसे बेहतर काम करता है, इसका जवाब आगे छुपा है । तो ऐसे आखिर तक पढे…

ग्लूकोज हमारे शरीर का मुख्य यानी प्राइमरी एनर्जी सोर्स है। जब हम 12-24 घंटे के लिए कुछ नहीं खाते तब हमारे शरीर में ग्लूकोज का स्तर गिर जाता है। एनर्जी की कमी पूरी करने के लिए शरीर फॅट स्टोर से फैट मॉलिक्यूल छोड़ने लगता है, जिन्हें लिवर छोटे फैट मॉलिक्यूल या किटोन्स में बदल देता है। ग्लूकोस की तुलना में हमें के किटोन्स पर यूनिट ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं। मतलब हमारे शरीर को और दिमाग के न्यूरॉन्स को ज्यादा एनर्जी मिलती है। इतना ही नहीं, जब हम 10-14 घंटे भूखे रहते हैं तो हमारी 75% एनर्जी की जरूरत कीटोन से पूरी होने लगती है। इस समय पूरे शरीर को सिग्नल जाता है, जिसे कहते है मेटाबॉलिक स्विच। इस समय शरीर डैमेज सेल्स को तोड़ने लगता है, जिनकी जगह बाद में नए सेल्स बनते हैं। साथ में आप की मेटाबॉलिक डेफिशिंन्सी बढ़ती है यानी कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन का रेशियो गिरता है। यानी आप ज्यादा ऑक्सीजन के बदले कम कार्बन डाइऑक्साइड पैदा करते हैं। इस स्थिति में शरीर खुद को रिपेर करने लगता है। आपके दिमाग, और हृदय को वो फायदे होते हैं जो कोई दवाई प्रदान नहीं कर सकती।

इसके साथ साथ आपके दिमाग भी बेहतर तरीके से काम करने लगता है। आपकी क्रिएटिविटी इमैजिनेशन और फोकस बढ़ जाती है।

कैसे होता है ये हमने समझ लिया लेकिन ऐसा होता क्यों है?

प्रकृति ने ऐसा क्यों बनाया की भूखा रहने से हमारा शरीर बेहतर तरीके से काम करता है। आदिम काल के जंगल में रहने वाले इंसान के पास ना फ्रिज था और ना अनाज के भंडार की। जब भूख लगे तब खा लो अक्सर भूखे पेट इंसान शिकार के लिए जंगल में भटकता इवोल्यूशन के साथ वही जानवर और इंसान सफल हुए जिनके शरीर भुके होने पर और बेहतर तरीके से काम यानी शिकार कर सकते थे। इसलिए फास्ट स्टेट में आप ज्यादा चौकन्ना हो जाते हो, आपकी इमैजिनेशन बेहतर हो जाती है, जिससे आप शिकार यानी अपने काम के लिए बेहतर योजना बना सकते हो और बेहतर काम कर सकते हो।

न्यूरोसर्जन भी यही कहते हैं कि अगर आप अपना पी कॉम्बिनेशन यानी फोकस और पीक मूड महसूस करना चाहते हो तो आपको इंटरमिटेंट फास्टिंग जरूर करना चाहिए।

फास्टिंग या इंटरमिटेंट फास्टिंग कैसे करें?

इससे पहले ये जानते है की फास्टिंग क्या नहीं है। मान लीजिये की ऐवरेज इंसान को दिन में 2000 कैलोरी खाने की जरूरत है तो कई लोग वजन घटाने के लिए दिनभर में 1000 खाते है। जरूरत से कम कैलोरी खाने को कहते हैं कैलोरी एक रिस्ट्रिक्शन जिसमे आपको दिनभर भूख लगती रहती है क्योंकि भले ही आप कम खाएं लेकिन बार बार खाने से इंसुलिन लेवल ऊपर नीचे होता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग का मतलब हम कम खाना या कैलोरी एक रिस्ट्रिक्शन बिल्कुल भी नहीं है। आप सामान्य मात्रा में खाना खाते है, बस लंच, डिन्नर या ब्रेकफास्ट में से एक स्किप कर देते है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग में 8-10 घंटे बाद ग्रेलीन होर्मोन में कमी आ जाती है जिससे हमारी भूख अपने आप शांत हो जाती है। इसलिए हर कोई बिना भूख की चिन्ता किए इंटरमिटेंट फास्टिंग कर सकता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग का सबसे कॉमन तरीका है 16 घंटे तक इंटरमिटेंट फास्टिंग मतलब 16 घंटे भूखा रहना और 8 घंटे के अंदर दो या तीन बार खाना

फोकस के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग का सबसे असरदार तरीका है डिन्नर थ्रोट देना और ब्रेकफस्ट लेट करना। जैसे आप 1:00 बजे लंच करो फिर 5:06 बजे दोबारा खाकर फास्टिंग शुरू करो। फिर अगले दिन सुबह 9:10 बजे ब्रेकफस्ट करो।

इसके तीन फायदे और एक नुकसान है।

पहला फायदा फास्टिंग के साथ 8 घंटे नींद में निकल जाते हैं। सुबह उठकर सीधे भूख भी नहीं लगती।

दूसरा शरीर खाली पेट आराम से सोता है और खुद को अच्छे से रिपेर करता है जिससे आप सुबह बहुत एनर्जेटिक महसूस करते हो।

तीसरा, सुबह जब आप जल्दी खाली पेट उठते हो जो शरीर में एनर्जी के लिए पर निर्भर रहता है और इस समय आपका फोकस और क्रिएटिविटी अपने चरम पर होती हैं और आप अपने काम पर आसानी से फोकस कर सकते हैं।

ग्रीक मैथमैटिशन पाइथागोरस अपने स्टूडेंट्स को क्लास में भूखा आने के लिए कहते थे ताकि वे आसानी से क्लास में ध्यान लगा सकें। इस फास्टिंग का नुकसान ये है की हमारी मानसिक आदत ऐसी बनी हुई है की हम लोगो को पेट भर खाये बिना रात में नींद नहीं आती इसलिए कई लोग इस तरह का जारी नहीं रख पाते। दूसरा कम असरदार लेकिन आसान तरीका है सुबह का नाश्ता स्किप कर देना और सीधे लंच और डिनर करना।

फास्टिंग के दौरान आप क्या खा सकते हैं?

फास्टिंग में आप ऐसी कोई चीज़ नहीं खा सकते हैं जो शरीर में ब्लड शुगर को बढ़ाये। आप ग्रीन टी बिना शक्कर का नींबू पानी पी सकते हैं, नींबू पानी में काला नमक भी डाल सकते हैं और खूब पानी पी सकते हैं।

फास्टिंग के बाद क्या खाना चाहिए?

सीजनल फल खासकर पपीते से फास्ट खोलते हैं। ये खाली पेट के कारण एसिडिटी को घटाने में मदद करता है।

फास्टिंग के पहले क्या खाना चाहिए?

हम लोग सोचते है की 16 घंटे फास्ट कर रहे हैं। इसका मतलब 8 घंटे में हम कुछ भी खा सकते हैं। जंकफूड, तला और मिठाई खाने से आपको भारीपन महसूस होता रहेगा। इसलिए नॉर्मल डाइट लीजिये, आराम से खाये और खाने के बारे में ज्यादा मत सोचिये…

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